लक्ष्मी नारायण मंदिर लमेटा घाट गोपालपुर पर स्तिथ है यह मंदिर बहुत पुराना लगभग १८ वी सदी सताब्दी का मंदिर है यहाँ पर मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान लक्ष्मी नारायण के अनुपम प्रतिमा स्तापित है जिसे सभी भक्त यहाँ पर अपनी मनोकामना लेकर आते है
भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर को एकादशी मंदिर की नाम से भी जाना जाता है यह देश का एकमात्र एकादशी माता मंदिर की नाम से प्रचलित है
लम्हेटाघाट के समीप गोपालपुर स्थित एकादशी देवी के मंदिर में समाया हुआ है। यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। जानकारों के अनुसार यह देश पहला ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां एकादशी देवी की प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर के परिसर में आते ही आज भी अजब से सम्मोहन का आभास होता है, जो आत्मिक सुकून का आभास कराता है।
वैदिक परम्परा में दो ही व्रत श्रेष्ठ बताए गए हैं.. एकादशी और प्रदोष। इनमें भी एकादशी का महात्म्य अधिक बताया गया है। इस तिथि के अधिष्ठाता स्वयं नारायण हैं, जो जगत के आधार और पालनहार हैं। बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा कि जबलपुर में एकादशी माता का मंदिर भी है। सदियों पुराने इस मंदिर में मां एकादशी भगवान नारायण के साथ गरुण पर सवार दिखाई दे रही हैं। अन्य भी प्राचीन व दुर्लभ प्रतिमाएं हैं। जबलपुर-नागपुर राजमार्ग पर सगड़ा से छह किमी दूर लम्हेटाघाट गोपालपुर गांव में स्थित यह प्राचीन मंदिर लक्ष्मी-नारायण के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यहां प्रत्येक माह एकादशी तिथि पर पूजन-अर्चन के लिए भक्तों का तांता लगता है। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मध्य भारत का यह एक मात्र एकादशी देवी मंदिर है। मंदिर के प्रमुख पुजारी आरके प्यासी ने बताया कि यह मंदिर नौ शिखरों वाला नौचक्र साधन युक्त मंदिर है। इस मंदिर के चारों ओर एक-एक कोणों पर एक-एक मंदिर बना है। बीच में मुख्य मंदिर है। कोणों वाले मंदिर में शिवलिंग साथ कार्तिकेय, सरस्वती, अन्नपूर्णा, हनुमान आदि देवी-देवताओं की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर के अंदर कक्ष में नर्मदा, शिव , गणेश आदि की मूर्तियां हैं। बीच में एक चबूतरे पर ग्रेनाइट काले पत्थर की मानव गरुण पर आरूढ़ नारायण की प्रतिमा है। उसके समीप मानव गरुड़ की हथेली पर एकदशी देवी खड़ी हैं। कक्ष के फर्श पर सफेद संगमरमर की एक और मानव गरुड़ पर आरूढ़ नारायण की मूर्ति है जिनमें विष्णु के साथ एक देवी भी विराजमान हैं। मंदिर में एक ही परिसर पर भगवान नारायण दो अलग-अलग मुद्राओं में दो देवियों के साथ विराजमान हैं। काले पत्थर की देवी नारायण के साथ एक हटकर पुत्री भाव की दृष्टव्य हैं। पर सफेद पत्थर के नारायण के अंक में देवी पत्नी के भाव विराजी दिखाई देती हैं। काले पत्थर की देवी एकादशी है जबकि सफेद पत्थर की देवी लक्ष्मी हैं। प्राय: सभी ज्ञात एकादशी मंदिरों में एकादशी की काले पत्थर की मूर्ति है, जो कि यहां भी स्थित है। मंदिर के सामने नर्मदा की धारा में अलग-अलग कुंड दिखाई देते हैं। जिनमें से एकादशी कुंड अलग ही दिखाई देता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस कुंड में एकदशी तिथि पर स्नान-ध्यान करने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है। प्रत्येक माह एकादशी तिथि पर यहां बड़ी संख्या में साधक स्नान व पूजन-अर्चन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि एकादशी कुंड के समीप गुप्त गंगा का कुंड भी है यहां प्रत्येक वर्ष गंगा दशहरा के दिन विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। इस दिन यहां गंगा दूध धारा के रूप में आकर नर्मदा से मिलती है।
भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर लमेटा घाट गोपालपुर , जबलपुर से १२ किलोमीटर पड़ता है और यह भेड़ाघाट से २ किलोमीटर पड़ता है यह लमेटा घाट से आधा किलोमीटर दूर है यहाँ आने क़े लिए सभी वाहन की सुविधा है