विष्णु वराह मंदिर मझौली जबलपुर

विष्णु वराह मंदिर मझौली यहाँ स्थापित प्रतिमा एक तालाब से निकली थी। मान्यता है कि मूर्ति काफी छोटे स्वरूप में निकली थी जो बढ़ते-बढ़ते वर्तमान में विशाल स्वरूप में है। विष्णु वराह की यह प्रतिमा अति आकर्षक होने के साथ ही लोगों की आस्था का केंद्र भी है।

यह प्रतिमा गुप्त और चंदेल शासकों द्वारा निर्मित किए गए खजुराहो कलाकृतियों के समान ही है। यज्ञ वराह की खड़ी हुई मुद्रा में यह प्रतिमा कल्चुरीकालीन 11 वीं शती की बताई जाती है। इसके नीचे चौकी पर अमृतघाट लिए शेषनाग एवं पीछे उनकी पत्नी प्रदर्शित हैं। शेषनाग के ऊपर तथा वराह के थूथन के नीचे पद्मासन में योग नारायण विराजमान हैं। वराह के शरीर पर देव मुनि, सिद्ध एवं गंधर्व अलंकृत है। यह प्रतिमा पुरातत्व महात्व की है।

जिस मंदिर में यह प्रतिमा स्थापित है वह भी अति अद्भुत बताया जाता है। इसका निर्माण 11 वीं शती में हुआ था जो बाद में किन्हीं कारणों से ध्वस्त हो गया और 17 वीं 18 वीं शती में इसका पुननिर्माण कराया गया। इसकी बाह्य भित्तियों एवं परकोटे में प्राचीन मूर्तियां जड़ी हैं। दरवाजे के सामने ही एक स्तंभ है जिस पर दशावतार का अंकन है।

जबलपुर कटनी रोड पर मझौली में स्थित है। यह सिहोरा से 27 किलोमीटर दूर है। पास ही नरीला तालाब है जो सहस्रदल कमल का एकमात्र तालाब बताया जाता है। इसी से यह अद्भुत प्रतिमा प्रकट हुई थी।

मंदिर के द्वार के समीप ही मक्रवाहिनी, गंगा एवं कच्छप यमुना का चित्रण है। बीचोंबीच नारायण पद्मासन में बैठे हैं। मंदिर के दरवाजों पर भी देव बनाए गए हैं। दोनों ओर नवग्रह का स्वरूप देखने मिलता है। मंदिर में ही शिवलिंग और अष्टभुजाधारी दुर्गा का भी मंदिर स्थित है।

मंदिर और मूर्ति सिर्फ पुरातत्व की ही नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय लोगों की खासी आस्था है। कई तरह की मान्यताएं और कथांएं इसे लेकर प्रचलित हैं जिनमें से एक मंदिर रखी वराह प्रतिमा के स्वयं बड़ी होना भी शामिल है।

भगवान विष्णु के वराह 10 अवतार

हिंदु धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते है. अब तक भगवान विष्णु के इन अवतारों को जाना जाता है...

मत्स्य अवतार : मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार है. इस अवतार में विष्णु जी मछली बनकर प्रकट हुए थे. मान्यता के अनुसार एक राक्षस ने जब वेदों को चुरा कर समुद्र की गहराई में छुपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में आकर वेदों को पाया और उन्हें फिर स्थापित किया.

वराह अवतार : वराह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तीसरा अवतार है. इस अवतार में भगवान ने सुअर का रूप धारण करके हिरण्याक्ष राक्षस का वध किया था.

कच्छप अवतार : कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' भी कहते हैं. इसमें भगवान विष्णु कछुआ बनकर प्रकट हुए थे. कच्छप अवतार में श्री हरि ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन में मंदर पर्वत को अपने कवच पर रखकर संभाला था. मंथन में भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि सर्प की मदद से देवताओं और राक्षसों ने चौदह रत्न पाए थे.

नृसिंह भगवान :ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चौथा अवतार नृसिंह हैं. इस अवतार में लक्ष्मीपति नर-सिंह मतलब आधे शेर और आधे मनुष्य बनकर प्रकट हुए थे. इसमें भगवान का चेहरा शेर का था और शरीर इंसान का था. नृसिंह अवतार में उन्होंने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए उसके पिता राक्षस हिरणाकश्यप को मारा था.

वामन अवतार :भगवान विष्णु पांचवां अवतार हैं वामन. इसमें भगवान ब्राम्हण बालक के रूप में धरती पर आए थे और प्रहलाद के पौत्र राजा बलि से दान में तीन पद धरती मांगी थी. तीन कदम में वामन ने अपने पैर से तीनों लोक नाप कर राजा बलि का घमंड तोड़ा था.

परशुराम :विष्णु के अवतार परशुराम राजा प्रसेनजित की बेटी रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र थे. दशावतारों में से वह छठवां अवतार थे. जमदग्नि के पुत्र होने की वजह से इन्हें 'जामदग्न्य' भी कहते हैं. वह शिव के परम भक्त थे. भगवान शंकर ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर परशु शस्त्र दिया था. इनका नाम राम था और परशु लेने के कारण वह परशुराम कहलाते थे. कहा जाता है इन्होंने क्षत्रियों का कई बार विनाश किया था. क्षत्रियों के अहंकारी विध्वंश से संसार को बचाने के लिए इनका जन्म हुआ था.

श्रीराम :विष्णु के दस अवतारों में से एक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हैं. महर्षि वाल्मिकि ने राम की कथा संस्कृत महाकाव्य रामायण में लिखी थी. तुलसीदास ने भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस की रचना की थी. राम, अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी पहली रानी कौशल्या के पुत्र थे.

श्री कृष्ण :यशोदा नंदन श्री कृष्ण भी विष्णु के अवतार थे. भागवत ग्रंथ में भगवान कृष्ण की लीलाओं की कहानियां है. इनके गोपाल, गोविंद, देवकी नंदन, वासुदेव, मोहन, माखन चोर, मुरारी जैसे अनेकों नाम हैं. यह मथुरा में देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे. श्री कृष्ण की महाभारत के युद्ध में बहुत बड़ी भूमिका थी. वह इस युद्ध में अर्जुन के सारथी थे. उनकी बहन सुभद्रा अर्जुन की पत्नी थीं. उन्होंने युद्ध से पहले अर्जुन को गीता उपदेश दिया था.

भगवान बुद्ध :भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक बुद्ध भी हैं. इनको गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध भी कहा जाता है. वह बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं. बौद्ध धर्म संसार के चार बड़े धर्मों में से एक है. इनका जन्म क्षत्रि‍य कुल के शाक्य नरेश शुद्धोधन के पुत्र के रूप में हुआ था. इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया था. गौतम बुद्ध अपनी शादी के बाद बच्चे राहुल और पत्नी यशोधरा को छोड़कर संसार को मोह-माया और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग पर निकल गए थे.

कल्कि अवतार :कल्कि अवतार भगवान विष्णु का आखरी अवतार माना जाता है. कल्कि पुराण के अनुसार श्री हरि का 'कल्कि' अवतार कलियुग के अंत में होगा. उसके बाद धरती से सभी पापों और बुरे कर्मों का विनाश होगा.

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