श्री गिलहराज जी महाराज का मंदिर

प्राचीन प्रसिद्ध आंचल सरोवर के किनारे मौजूद श्री गिलहराज जी महाराज का मंदिर विश्व भर में अनोखा है। यहां भगवान हनुमान गिलहरी के रूप में विराजमान हैं। हनुमान जयंती के दिन यहां देश विदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां लड्डुओं का भोग लगने से भक्तों के हर संकट दूर हो जाते हैं।

हर बीस मिनट बाद होती है आरती

विश्व भर में अनोखे गिलहराज जी महाराज के इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हर बीस मिनट बाद हनुमान जी की आरती होती है। जिससे मंदिर में आने वाले हर भक्त को आरती में शामिल होने का मौका मिलता है।

लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है मंदिर

मंदिर के महंत कौशलनाथ जी बताते हैं कि मंदिर लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है। मान्यता है कि श्री गिलहराज जी महाराज के विग्रह रूप की खोज महंत महेंद्र योगी महाराज ने की थी। जो नाथ सम्प्रदाय के परम सिद्ध योगी थे। जिन्हें स्वप्न में श्री हनुमान जी महाराज का साक्षात्कार हुआ था।

द्वापर युग में दाऊजी ने की थी प्रथम पूजा

मान्यता है कि श्री गिलहराज जी महाराज के मंदिर में विराजमान हनुमान जी के गिलहरी रूप की पूजा सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने की थी। सारे विश्व भर में गिलहरी के रूप में हनुमान यही देखने को मिलते हैं।


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