Somnath Temple - (सोमनाथ मन्दिर)

Country India  State Gujarat  District Gir Somnath  Locale Prabhas Patan, Veraval

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती १२ ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।

यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया।


Legend - (किंवदंती)

प्राचीन हिन्दू ग्रंथों के अनुसार में बताये कथानक के अनुसार सोम अर्थात् चंद्र ने, दक्षप्रजापति राजा की २७ कन्याओं से विवाह किया था। लेकिन उनमें से रोहिणी नामक अपनी पत्नी को अधिक प्यार व सम्मान दिया कर होते हुए अन्याय को देखकर क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्रदेव को शाप दे दिया कि अब से हर दिन तुम्हारा तेज (काँति, चमक) क्षीण होता रहेगा। फलस्वरूप हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा। शाप से विचलित और दु:खी सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। अंततः शिव प्रसन्न हुए और सोम-चंद्र के श्राप का निवारण किया। सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव का स्थापन यहाँ करवाकर उनका नामकरण हुआ "सोमनाथ"।

ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आँख जानकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।


History - (इतिहास)

सर्वप्रथम एक मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था जिस जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया। आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन १०२४ में कुछ ५,००० साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। ५०,००० लोग मंदिर के अंदर हाथ जोडकर पूजा अर्चना कर रहे थे, प्रायः सभी कत्ल कर दिये गये।

इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे पाँचवीं बार गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

१९४८ में प्रभासतीर्थ प्रभास पाटण के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी। यह जूनागढ़ रियासत का मुख्य नगर था। लेकिन १९४८ के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया। मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा। लेकिन सन १०२६ में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खंडित किया, वह यही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को १३०० में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। इसके बाद कई बार मंदिर और शिवलिंग को खंडित किया गया। बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं। महमूद गजनी सन १०२६ में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था। सोमनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित नवीन मंदिर स्थापित है। राजा कुमार पाल द्वारा इसी स्थान पर अन्तिम मंदिर बनवाया गया था। सौराष्ट्र के मुख्यमन्त्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबर ने १९ अप्रैल १९४० को यहां उत्खनन कराया था। इसके बाद भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया है। सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने ८ मई १९५० को मंदिर की आधार शिला रखी तथा ११ मई १९५१ को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया। नवीन सोमनाथ मंदिर १९६२ में पूर्ण निर्मित हो गया। १९७० में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया। इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। सोमनाथ मंदिर निर्माण में पटेल का बडा योगदान रहा। मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। मंदिर के पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है। सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया है। यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।

Pilgrimage and Temple - (तीर्थ स्थान और मंदिर)

मंदिर नं.१ के प्रांगण में हनुमानजी का मंदिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिग, अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर हैं। अघोरेश्वर मंदिर नं. ६ के समीप भैरवेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, दुखहरण जी की जल समाधि स्थित है। पंचमुखी महादेव मंदिर कुमार वाडा में, विलेश्वर मंदिर नं. १२ के नजदीक और नं. १५ के समीप राममंदिर स्थित है। नागरों के इष्टदेव हाटकेश्वर मंदिर, देवी हिंगलाज का मंदिर, कालिका मंदिर, बालाजी मंदिर, नरसिंह मंदिर, नागनाथ मंदिर समेत कुल ४२ मंदिर नगर के लगभग दस किलो मीटर क्षेत्र में स्थापित हैं।

Major temples of outer area - (बाहरी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर)

वेरावल प्रभास क्षेत्र के मध्य में समुद्र के किनारे शशिभूषण मंदिर, भीड़भंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ है। भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, रूदे्रश्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, हिंगलाज गुफा, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की ६५वीं बैठक के अलावा कई अन्य प्रमुख मंदिर है। प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर के समयकाल में अन्य देव मंदिर भी थे। इनमें शिवजी के १३५, विष्णु भगवान के ५, देवी के २५, सूर्यदेव के १६, गणेशजी के ५, नाग मंदिर १, क्षेत्रपाल मंदिर १, कुंड १९ और नदियां ९ बताई जाती हैं। एक शिलालेख में विवरण है कि महमूद के हमले के बाद इक्कीस मंदिरों का निर्माण किया गया। संभवत: इसके पश्चात भी अनेक मंदिर बने होंगे।

प्रमुख तीर्थ द्वारिका सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है। यहां भी प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां गोमती नदी है। इसके स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस नदी का जल सूर्योदय पर बढ़ता जाता है और सूर्यास्त पर घटता जाता है, जो सुबह सूरज निकलने से पहले मात्र एक डेढ फीट ही रह जाता है।

How To Reach - (आवागमन)

निकटतम रेलवे स्टेशन - वेरावल

निकटतम हवाई अड्डा - दीव, राजकोट, अहमदाबाद, वड़ोदरा

Create Account



Log In Your Account